शुक्रवार, 25 जनवरी 2008

दीदी कि यादों में


हम हसरतों के सपनो में कुछ इस तरह खो गयें,
भूल कर अपनों को दुनिया में खो गयें
आचानक ही मिलें थें हम आपसे, और हम
हमेशा के लिये आपके हो गयें

गम कुछ इस तरह उभारा दिल में
जख्म गहरा हुआ पर निशान मिट गयें
आपके यादों को छुपायें घूमते रहें जहाँ में
जाने का गम भी हंस कर पी गयें ।

सुन कर आवाज़ को आपके
दर्दे जुदाई भूल जाता हूँ
दिल में बैठी तस्वीर को देख कर
आपके पास होने का आह्सास पता हूँ

याद जो आपकी आई आपकी तो
घर छुप कर रो गयें


दीदी कि यादों में

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