सोमवार, 24 जुलाई 2017

इतिहास की सबसे वहशी सीरियल किलर, जवान रहने के लिए करती थी ऐसा

एलिजाबेथ बाथरी को इतिहास की सबसे खतरनाक और वहशी महिला सीरियल किलर के तौर पर जाना जाता है। जिसने 1585 से 1610 के दौरान, अपनी जवानी को बरकरार रखने के लिए अपने महल में 600 से ज्यादा लड़कियों की हत्या कर उनके खून से स्नान किया। 

कौन थी एलिजाबेथ बाथरी :
एलिजाबेथ बाथरी हंगरी साम्राज्य के ऊंचे रसूख वाले बाथरी परिवार से ताल्लुक रखती थी। उसकी शादी फेरेंक नैडेस्‍डी नाम के शख्‍स से हुई थी और वह तुर्कों के खिलाफ युद्ध में हंगरी का राष्‍ट्रीय हीरो था। जब तक वह जिंदा था तब भी एलिजाबेथ लड़कियों को अपना शिकार बनाती थी, लेकिन 1604 में पति की मौत के बाद उसके जुर्म की इंतिहा हो गई थी। एलिजाबेथ बाथरी स्‍लोवानिया के चास्चिस स्थित अपने महल में रहती थी तथा उसने वही सारी घटनाओं को अंजाम दिया था।

कुंवारी लड़कियों को प्रताड़ित करके देती थी मौत :
एलिजाबेथ बाथरी के दिमाग में यह फितूर था की यदि वो कमसिन कुंवारी लड़कियों के खून से स्नान करेगी तो सदैव जवान बानी रहेगी। उसके इसी फितूर ने उसको दुनिया  की नंबर एक सीरियल किलर बना दिया। उसके इस काम में उसके तीन नौकर भी उसका साथ देते थे।  चुकी वी एक ऊंचे रसूख वाली औरत थी इसलिए वो आसपास के गाँवों की गरीब लड़कियों को अपने महल में अच्छे पैसो पर काम करने का लालच देकर बुला लेती थी। लेकिन महल में आते ही लड़कियों के बुरे दिन शुरू हो जाते थे। वहां पर उन्हें मौत से पहले बुरी तरह प्रताड़ित किया जाता था। बर्बरता से उनकी पिटाई की जाती थी, उनके हाथों को जला या काट दिया जाता था। कई बार वह लड़कियों के चेहरे या शरीर के दूसरे अंगों का मांस दांतों से काटकर निकाल लेती थी। और अंत में उनकी हत्या कर उनका खून एक टब में इकठ्ठा कर लिया जाता जिसमे एलिजाबेथ बाथरी स्नान करती। 

1610 में किया गया गिरफ्तार :
शुरू में तो एलिजाबेथ बाथरी गरीब परिवार की लड़कियों को ही अपना शिकार बनाती थी लेकिन जब इलाके में लड़कियों की तादाद कम हो गई तो उसने ऊंचे परिवार की लड़कियों को अपना शिकार बनाना शुरू कर दिया। कभी कभार एलिजाबेथ बाथरी के चंगुल से कुछ लड़कियां निकल कर भागने में भी सफल हो जाती थी।  जब गाँव वालो को लगातार ऐसी लड़कियों के द्वारा बाथरी के कारनामो का पता चला तो उन्होंने हंगरी के राजा से इसकी शिकायत करी।  यह 1610 की बात है। फलस्वरूप हंगरी के राजा ने सत्य की जांच करने के लिए अपने लोगों का एक दल भेजा। जांच दल ने जब महल की जांच की तो वो खुद हैरान रह गए। उन्हें महल में लड़कियों की कई विकृत लाशें तथा कई ज़िंदा लडकिया बेड़ियों में जकड़ी हुई मिली। उन लड़कियों के बयान तथा वहां से बच निकलने में सफल रही लड़कियों के बयान के आधार पर जांच दल ने एलिजाबेथ बाथरी को तीनो नौकरों सहित गिरफ्तार कर लिया। तीनों नौकरों को तो मौत की सजा दे दी गई पर एलिजाबेथ बाथरी के खानदान को देखते हुए उसे मौत तो नहीं दी गई पर उसे उसके ही महल के एक कमरे में क़ैद कर दिया गया। जहाँ पर की चार साल बाद 21 अगस्त 1614 को उसकी मौत हो गई।  21 अगस्त 2014 को उसकी मौत के 400 साल पुरे हो गए है।

पीड़ित लड़कियों की सही संख्या का नहीं है पता :
अपनी 25 साल की हैवानियत के दौरान एलिजाबेथ बाथरी ने कितनी लड़कियों को अपना शिकार बनाया इसकी कोई पुख्ता जानकारी तो नहीं हैं पर विभिन्न रिपोर्टों में यह संख्या 300 से लेकर 650 के बीच बताई गई हैं।

बन चुकी है कई हॉलीवुड फिल्में :
एलिजाबेथ बाथरी के जीवन के ऊपर अब तक कई हॉलीवुड फिल्में बन चुकी है। इसके अलावा इसके ऊपर कई बेस्टसेलर बुक्स भी लिखी जा चुकी है।  कहाँ तो यहाँ तक जाता है की आयरलैंड के उपन्‍यासकार ब्राम स्‍टोकर ने बाथरी के विषय से ही प्रेरित होकर 1897 में ड्रैकुला उपन्‍यास लिखा था।

स्थानीय लोग करते है बाथरी से नफरत :

चास्चिस शहर के पुराने लोग बाथरी के इतिहास से नफरत करते हैं और वर्तमान पीढ़ी को उसके बारे में जानने की ज्‍यादा दिलचस्‍पी नहीं है। हाल में ही शहर के चौराहे पर जब बाथरी की मूर्ति लगाई गई थी तो उसका काफी विरोध हुआ था।

मंगलवार, 6 अक्तूबर 2009

मन की कुछ बातें ....

दहक रही चिता चिंता का, आज अंत क्या होगा ?
पीड़ित मन तन थका हुआ, विश्रांत आज क्या होगा ?

जन्म- मृत्यु के बीच समय, सुख-दुःख से भरा पड़ा है।
कोई अधिक कोई थोडा भी, दुःख के पले में पड़ा है ॥

दुःख का समय दिखाता हमको, भले बुरे लोगों को।
सुख में लाभ बटोरन वाले, दुःख में हटने वालो को॥

देख लिया अब नही देखना, जग के ऐसे लोगो को।
माफ़ किया अपनी और से, ऐसे उनलोगों को॥

जो भी समय अब शेष बचा है, उसे सवारना अब है।
दुखी जन संतप्त लोगों का, दुःख हरने का मन है॥

नहीं दहकते रहना है अब, कृतघ्नो की करनी से ।
समय गवाना मुझे नही हैं, सोच उनकी करनी से॥

जैसी वेदना मुझे मिली है, दूसरा कभी न झेले।
प्रभु से है यह नम्र निवेदन, सब का दुःख वह लेले॥

सोमवार, 5 अक्तूबर 2009

समय नही बताएँगे

ट्रेन में जाते समय
मैंने एक भाई साहेब से अचानक ही
समय पूछ लिया ...
क्या आप समय बताएँगे
उन्होंने कहा नही॥!
हमने कहा क्यों
उन्होंने कहा की अगर हमने आपका समय बताएँगे
तो आप बातों का सिलसिला आगे बढायेंगे
फ़िर आप पूछेंगे आप कहा रहते हैं
हम कहेंगे स्टेशन के पास
अरे! स्टेशन के पास तो हम भी रहते हैं।
इसी तरह आप एक दिन मेरे घर आयेंगे
हम शरमाते हुए आपको सोफे पर बैठाएंगे
और अपनी बेटी से चाय मंगवाएंगे
फ़िर आप मेरी बेटी को देखते ही fida हो जायेंगे
और एक दिन मेरे नही रहने पर मेरे घर आयेंगे
और मेरी बेटी को पटाकर भाग जायेंगे
समय बहुत ख़राब चल रहा है
इसलिए, आपको समय नही बताएँगे


हास्य कविता

शुक्रवार, 20 फ़रवरी 2009

पत्नी की आरती


आज बंडमरु गिरी करने का मन किया है। शुरुआत कर रहा हूँ पत्नी की आरती से ....

मुझे मेरे मित्र ने मुझे एक मेल किया उस मेल को मैं यथावत आपके सामने परोस रहा हूँ... मुझे आच्छा लगा आपको भी आच्छा लगेगा। ऐसा विश्वाश है। आप अपनी राय जाहिर करें... कैसा लगा......धन्यवाद ।

गुरुवार, 20 नवंबर 2008

किसको दिखाऊ हाल-ऐ-दिल

बड़ी जल्दी बदल जाता है उनका नजरिया।
बिना घुमे ही शहर और बाजारिया
प्रभु तुम मेरी रक्षा करना
बिना पानी के हो गया है आटा गिल
किसको सुनाऊं हाल-ऐ-दिल ।