सोमवार, 14 जनवरी 2008

यादें


छोड़ चुका था पीछे जिनको......

याद जो हो चुकी थी धुंधली

छा चूका था कुहरा जिनपर

याद आ गयी आज वो बात्तें

हँसना रोना खिलखिलाना

खाना पीना मौज मनाना थक के चरणों में गिर जाना

था वो पल बहुत ही खुशनुमा

फिर याद आ गई आज वो बात्तें

हाल हमारा वो हुआ

तारे भी दिख गए दिन में हमको

याद बहुत सताती हैं

मन में बैठा चेहरा फिर भी

मन ब्याकुल हो जाता हैं


आपका बच्चा

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