शुक्रवार, 25 जनवरी 2008

दीदी कि यादों में


हम हसरतों के सपनो में कुछ इस तरह खो गयें,
भूल कर अपनों को दुनिया में खो गयें
आचानक ही मिलें थें हम आपसे, और हम
हमेशा के लिये आपके हो गयें

गम कुछ इस तरह उभारा दिल में
जख्म गहरा हुआ पर निशान मिट गयें
आपके यादों को छुपायें घूमते रहें जहाँ में
जाने का गम भी हंस कर पी गयें ।

सुन कर आवाज़ को आपके
दर्दे जुदाई भूल जाता हूँ
दिल में बैठी तस्वीर को देख कर
आपके पास होने का आह्सास पता हूँ

याद जो आपकी आई आपकी तो
घर छुप कर रो गयें


दीदी कि यादों में

रविवार, 20 जनवरी 2008

बचपन

थक कर चूर हो चूका अब बचपन
मल कर चाय कि प्याली
सुख को जिसने देखा नही
कुदरत ने जिसके किस्मत में
दुःख दर्द गम ही डाली

फुटा नसीब उस वक़त बचपन का
पैदा हुआ जब इस धरा पर
दूध भी नही मिल सका जिसको
कोई क्या जाने इस बात को, कि
हुआ बड़ा, खा कर जूठन थाली , दुःख दर्द ..................

सड़क चौराहे पर कचरा चुन कर
करता कोशिश भूख मारने का
न कोई हसरत न कोई सपना
अपना नही इस जग में कोई
मर गया हैं जब बचपन समाज में
सुन समाज कि भद्दी गाली , कुदरत ने जिसके ...........

गुरुवार, 17 जनवरी 2008

रावण का शव

सारा ब्रह्माण्ड, कुच कर दुनिया, मौत का भय दिखा लोगो को
खोज निकाला रावण का शव ,

ढुन्ढ निकालेंगे सीता को भी ,

छुपे हुए हनुमान आएंगे,

कलि कलयुग को डरायेंगे .

बाप बेटा बदल गया हैं,
लोग भी बदल जायेंगे ,

अभी तो थोडा ही भरा हैं,
खाली घड़ा अब निकल पड़ेगा .


घडी छा गई हैं, बिनाश कि ,

काल रात्रि आएगा ,

पुण्य छोड़ कर , पाप यहाँ पर ,

तड़प तड़प मर जाएगा .

सोमवार, 14 जनवरी 2008

यादें


छोड़ चुका था पीछे जिनको......

याद जो हो चुकी थी धुंधली

छा चूका था कुहरा जिनपर

याद आ गयी आज वो बात्तें

हँसना रोना खिलखिलाना

खाना पीना मौज मनाना थक के चरणों में गिर जाना

था वो पल बहुत ही खुशनुमा

फिर याद आ गई आज वो बात्तें

हाल हमारा वो हुआ

तारे भी दिख गए दिन में हमको

याद बहुत सताती हैं

मन में बैठा चेहरा फिर भी

मन ब्याकुल हो जाता हैं


आपका बच्चा

शुक्रवार, 11 जनवरी 2008

जान हैं तो जहान हैं.

जान हैं तो जहान हैं.
तेरा ही इमान हैं.
जख्म तो दिए दिल को,
फिर भी हम महान हैं

लोग खाते हैं अंडा
मरते हैं डंडा,
इसलिये तो कहता हूँ,
सभी अपने हमाम मे हैं नंगा.

दिल तो कह रहा हैं
दुनिया देख ली हमने
आओ आज तुमको घुमा दुं
क्या खोया, क्या पाया हमने