सोमवार, 20 अक्तूबर 2008

नालायक की नसीहत और दर्द


नाम भले ही हो नालायक
करता नही नालायकी
भोले मन में डर क्यों उठा
हमको ठग रही ये दुनिया सारी

इक कविता इंटर में पढ़ा था

बड़ी जलन है इस ज्वाला में
जलना कोई खेल नही
इधर देखता हूँ करुणा से
मानवता का मेंल नही ।

दर्द है इस दिल में............................................ कैसे दिखाऊ .....................

2 टिप्‍पणियां:

seema gupta ने कहा…

दर्द है इस दिल में............................................ कैसे दिखाऊ .....................

"uf uf uf! sach hee to hai dil ka darad deekhane ke jriya bhee to nahee hai koee...."

Regards

www.जीवन के अनुभव ने कहा…

sach kanha manvata ka koi mol nahi hai. lekin manavata bhi to is yug mai kanhi gum hoti jaa rahi hai.