नाम भले ही हो नालायक
करता नही नालायकी
भोले मन में डर क्यों उठा
हमको ठग रही ये दुनिया सारी
इक कविता इंटर में पढ़ा था
बड़ी जलन है इस ज्वाला में
जलना कोई खेल नही
इधर देखता हूँ करुणा से
मानवता का मेंल नही ।
दर्द है इस दिल में............................................ कैसे दिखाऊ .....................
करता नही नालायकी
भोले मन में डर क्यों उठा
हमको ठग रही ये दुनिया सारी
इक कविता इंटर में पढ़ा था
बड़ी जलन है इस ज्वाला में
जलना कोई खेल नही
इधर देखता हूँ करुणा से
मानवता का मेंल नही ।
दर्द है इस दिल में............................................ कैसे दिखाऊ .....................
2 टिप्पणियां:
दर्द है इस दिल में............................................ कैसे दिखाऊ .....................
"uf uf uf! sach hee to hai dil ka darad deekhane ke jriya bhee to nahee hai koee...."
Regards
sach kanha manvata ka koi mol nahi hai. lekin manavata bhi to is yug mai kanhi gum hoti jaa rahi hai.
एक टिप्पणी भेजें