गुरुवार, 31 जुलाई 2008

छोटी छोटी लेकिन मोटी बातें

किसी की लाश बिना कफ़न की पड़ी है
किसी की लाश फूलों से सजी है
चलने वालों जरा संभल के चलो
ना जाने किस मोड़ पर मौत खड़ी हैं।

ये पंक्तियाँ ट्रक के पीछे लिखी हुई थी। इन पंक्तियों पर कितने लोग अमल करतें हैं, यह तो बताना मुस्किल है लेकिन लगभग सभी लोग पढ़ते जरुर हैं। मैं सड़क के किनारे बैठा कुछ सोच बिचार कर रहा था। गावों में आज भी शाम के वक्त टहलने के लिए खेतों खलिहानों और सड़को पर निकलतें हैं। मैं चुकी कस्बाई शहर में रहकर पढ़ाई करता हूँ । छुट्टी के दिनों में गाव गया था , मैं चिंतन मनन काफी करता हूँ और चिंतन मनन करने के क्रम में अचानक मेरी नज़र सड़क पर जाती हुई ट्रक पर पड़ी । पंक्तियाँ मुझे काफी चिंतन करने योग्य लगी । मैंने आव देखा न ताव पेन और कागज निकाल कर उसे लिख लिया। मेरी पुराणी बिचार यात्रा झट रुक गई और इन नै पंक्तियों को लेकर बिचारों की एक नई यात्रा प्रारम्भ कर दी। मैं सोचता रहा की जिसने भी इस पंक्तियों को लिखा होगा या ये पंक्तिया जिसकी भी सोच की उपज होगी इन चार पंक्तियों में सारा कुछ कह गया। दूसरी तरफ़ मैं ये भी सोचता रहा की अपनी गाड़ी के पीछे लिखवा कर ड्राईवर कितने लोगों को सिख दे रहा है। लेकिन क्या वो इनपर अमल करता होगा?
खैर जो भी हो एक बात तो मैं भी सिख गया हूँ की सलाह दूसरो के लिए होता हैं अपने भले ही हम अमल करें या न करें। मैं भी कम नहीं हूँ ....... पर अपने बारे में '' शिकारी आएगा जाल बिछायेगा दाना डालेगा उसमें फसना मत''
*कैसा लगा अपना राय जरुर दे

3 टिप्‍पणियां:

शोभा ने कहा…

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है। स्वागत है आपका।

संगीता पुरी ने कहा…

हिन्दी चिट्ठा.जगत में आपका स्वागत है।'शिकारी आएगा जाल बिछायेगा दाना डालेगा उसमें फसना मत'यही होता ही आया है, अबतक। सुन्दर अभिव्यक्ति।

Amit K Sagar ने कहा…

बेहतरीन.
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