मेरे मन में एक सवाल कौधता हैं की क्या दुनिया में लोग कभी शान्ति से नहीं रह सकतें हैं ? मन में क्यों दुबिधा रहती हैं? लोग क्यों नहीं मेरे भावनाओ को समझते ? क्या दुनिया इसी तरह रहती हैं? ?????????????????????????????????????????????????????????? समझ नहीं आता क्या करू ।
मैं अपनी दीदी को काफी मानता हूँ समझ में नहीं आता क्या करू मुझे क्यों लगता हैं की दीदी मुझे नहीं मानती हैं। क्या मैं किसी का कभी प्यारा भाई नहीं बन सकता? इधर कुछ महीनो से मैं काफी परेशां हूँ । कारणसिर्फ़ इतना हैं की मेरी दीदी मीडिया में है और ऑफिस में जाती है और समस्या यह है की मैं वर्क टाइम में दीदी के पास फोन नहीं कर सकता । सप्ताह में सिर्फ़ एक दिन बचता हैं रविवार जिस दिन मैं उनसे बात कर सकता था ....... यहाँ था इस लिए की वो समय था जब मैं दीदी के पास फोन करता था। उस समय दीदी बात भी करती थी। लेकिन इधर कुछ महीनो से मैं जब भी उनके पास फोन करता वो या तो डाट देती या फ़ोन रखने को बोल देती। मैं क्या करू समझ में नही आता....................
मुझे इस बात का तनिक भी दुःख नहीं हैं की दीदी मुझे क्यूँ बोलती हैं । मैं समझ सकता हू ओफ्फिसिअल व्यस्तता बट मेरा मन तब से बेचैन हो गया जब उन्होंने मेरा फोन रखने को कहकर मेरे ही फोन से २२ मिनट ४८ सेकंड मेरे भाई निरंजन से बात की। मैं अपने मन को समझा नहीं पा रहा हूँ ॥
क्या मेरी दीदीकभी आएँगी। मैं अपनी वही दीदी से मिलना चाहता हूँ। मेरी दीदी कहा हैं आप ? कब प्यार से मुझे आप पुकारेंगी ???????? मेरा बच्चा ..............
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें