मंगलवार, 6 अक्तूबर 2009

मन की कुछ बातें ....

दहक रही चिता चिंता का, आज अंत क्या होगा ?
पीड़ित मन तन थका हुआ, विश्रांत आज क्या होगा ?

जन्म- मृत्यु के बीच समय, सुख-दुःख से भरा पड़ा है।
कोई अधिक कोई थोडा भी, दुःख के पले में पड़ा है ॥

दुःख का समय दिखाता हमको, भले बुरे लोगों को।
सुख में लाभ बटोरन वाले, दुःख में हटने वालो को॥

देख लिया अब नही देखना, जग के ऐसे लोगो को।
माफ़ किया अपनी और से, ऐसे उनलोगों को॥

जो भी समय अब शेष बचा है, उसे सवारना अब है।
दुखी जन संतप्त लोगों का, दुःख हरने का मन है॥

नहीं दहकते रहना है अब, कृतघ्नो की करनी से ।
समय गवाना मुझे नही हैं, सोच उनकी करनी से॥

जैसी वेदना मुझे मिली है, दूसरा कभी न झेले।
प्रभु से है यह नम्र निवेदन, सब का दुःख वह लेले॥

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