मंगलवार, 19 अगस्त 2008

आरा पर एक नज़र

एक दिन की बात हैं मैं चूँकि ब्लॉग पर ओफिसिअल कामसे ब्यस्त रहने के कारन ज्यादा अपडेट नहीं रह पता हू । मेरे मन में अपने ब्लॉग पर कुछ लिखने का मन बना रहा था लेकिन समझ में नहीं आ रहा था की किस बिषय पर लिखू । इसी क्रम में मेरी बात दीदी से हुई दीदी बताई की तुम क्यों नहीं अपनी शहर के बारे में कुछ लिखते हो । बंडमरू का एक प्रयास हैं अपने शहर आरा पर कुछ लिखने का । अच्छा लगे तो कृपया हौसलाअफजाई करें ।

तो शुरू करतें हैं...........

अगर प्रुराने ज़माने के ग्राम देवताओं और नगर देवताओं की मान्यातएं आज भी मान्य होती तो आरा के बारे में में इतना तो कहूँगा की इसको बनाने वाले जरूर कोई रोमांटिक कलाकार रहें होंगे जो इसके दामन में रंग बिरंगे डोरे डालें । जहाँ सुबह सुनहरी तो शाम मलयजी होती हैं । इसकी रंगिनिया, इसकी हरियाली , ऊँचे ऊँचे भवन , मनभावन उद्यान , एतिहासिकता से परिपूर्ण , धरम में आस्था क्या कुछ नहीं हैं इस छोटे से शहर में । एक से बढ़कर एक वीर इसके दामन में भरे पड़े हैं । जहाँ की भाषा भोजपुरी हैं जहाँ के रग-रग में देशभक्ति का जज्बा कूट-कूट कर भरा पड़ा हैं । सभ्यता संस्कृति की अपनी अलग पहचान लिए आरा बिहार के भोजपुर जिला का हृदय अस्थाली है । भारत का मुख्य पहचान अनेकता में एकता यहाँ की बिशेषता हैं । यहाँ की उर्वरता इतनी हैं की अनेक नेता कवि स्वतंत्रता सेनानी न जाने कितनो ने आरा की पहचान विश्व पटल बनाईं हैं ।
अभी तो बहुत कुछ बाकि हैं बहुत जल्द मिलते हैं ........................

4 टिप्‍पणियां:

मीत ने कहा…

hosla badhane ke liye bahut shukriya rohit ji...
aap bhi bahut sunder likhte hain...
keep it up

Batangad ने कहा…

अच्छा है लोगों को देश के एक शहर के बारे में ज्यादा जानने को मिलेगा।

स्वयम्बरा ने कहा…

mai bhi bhojpur ki rahnewali hoon.achcha laga apne shahar ke baare me padkar.badhai.achcha likhte hai aap.lage rahiye.

स्वयम्बरा ने कहा…

mai bhi bhojpur ki rahnewali hoon.achcha laga apne shahar ke baare me padkar.badhai.achcha likhte hai aap.lage rahiye.