नाम भले ही हो नालायक
करता नही नालायकी
भोले मन में डर क्यों उठा
हमको ठग रही ये दुनिया सारी
इक कविता इंटर में पढ़ा था
बड़ी जलन है इस ज्वाला में
जलना कोई खेल नही
इधर देखता हूँ करुणा से
मानवता का मेंल नही ।
दर्द है इस दिल में............................................ कैसे दिखाऊ .....................
करता नही नालायकी
भोले मन में डर क्यों उठा
हमको ठग रही ये दुनिया सारी
इक कविता इंटर में पढ़ा था
बड़ी जलन है इस ज्वाला में
जलना कोई खेल नही
इधर देखता हूँ करुणा से
मानवता का मेंल नही ।
दर्द है इस दिल में............................................ कैसे दिखाऊ .....................